भारतीय रसोई में साग एक पौष्टिक और स्वादिष्ट व्यंजन के रूप में बनाया जाता है। हमारे यहां साग लगभग हर घर में पसंद किया जाता है। सरसों का साग, पालक का साग, मेथी का साग, बथुआ का साग आदि को हर कोई बड़े चाव से खाता है। हमारे स्वास्थ्य के लिए भी साग को बहुत पौष्टिक माना जाता है। कई लोग तो रात में साग बनाकर रख देते हैं और सुबह में खाना पसंद करते हैं। जिन लोगों को पौष्टिक खाने की आदत है।
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वे साग को स्वादिष्ट और उपयोगी मानते हैं। लेकिन, इन सभी साग को बनाने के लिए सबसे पहले इन्हें बाज़ार से खरीदकर लाना होता है तभी आप इसे बना सकते हैं। अब सवाल ये है कि, जब घर पर ही साग को उगा सकते हैं, तो इसे खरीद कर बार-बार क्यों लाना। जी हां, आप अपने घर के गार्डन या छत पर आसानी से बथुआ का साग उगा सकते हैं। बथुआ साग एक पौधा होता है जिसकी पत्तियाँ खाद्य के रूप में उपयोग की जाती हैं।
यह भारत में प्राचीन समय से ही लोगों द्वारा खाया जाता है और इसका स्वाद सब्जियों के साथ बहुत अच्छा आता है। बथुआ साग न्यूट्रिशन की दृष्टि से भी फायदेमंद है, क्योंकि इसमें विटामिन, मिनरल्स का पोषण होता है। इसके लिए आपको कुछ साधारण से काम करने होंगे। तो चलिए जानते हैं कि घर के गार्डन में आप कैसे बथुआ साग उगा सकते हैं।
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बथुआ साग उगाने की सामग्री
• बथुआ साग का बीज
• मिट्टी
• खाद
• पानी
• गमला (अगर गमले में लगाना हो तो)
बीज का चुनाव
बीज का सही होना इस बात पर निर्भर करता है कि साग की पैदावार सही तरीके से होगी। किसी भी फसल को उगाने के लिए सबसे ज़रूरी है सही बीज का उपयोग करना। अगर आपने बीज गलत खरीद लिया तो बथुआ के साग का सही ढंग से उगना संभव नहीं। इसलिए बथुआ साग लगाने से पहले बीज का चुनाव सही से करें। बथुआ साग के बीजों को किसानों के बीज दुकान से खरीदेने का ही प्रयास करें। उनके पास अच्छे धारक और उच्च गुणवत्ता वाले पौधे होते हैं।
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मिट्टी को तैयार करने की विधि
बथुआ का साग उगाने के लिए मिट्टी को एक से दो बार अच्छे से खुरेंच दीजिये। फिर एक से दो दिन के लिए मिट्टी को धूप में रख दीजिये। इससे मिट्टी नरम हो जाएगी और पैदावार भी अच्छी होगी। दो दिन के बाद खाद को मिक्स करके एक बार फिर मिट्टी को मिक्स कर लीजिये। ताकि फसल को खाद की मात्रा अच्छे से मिल सके। ध्यान रहे मिट्टी में जंगली घास मौजूद न हो। अक्सर जंगली घास फसल को ख़राब कर देती है।
बीजों को बोने का तरीका
मिट्टी के तैयार हो जाने के बाद मिट्टी में बीज को डालें। बीजों को धीरे-धीरे बोएं और उनको अच्छी तरह से दबा दें। फिर ऊपर से खाद को भी डालकर मिट्टी को एक बार खुरेंच कर छोड़ दीजिये। आप हमेशा जैविक खाद या फिर कम्पोस्ट खाद का ही चुनाव करें। रासायनिक खाद से फसल अधिक ख़राब होने के चांस रहते हैं। खाद डालने के बाद फसल के सभी हिस्सों में हल्का पानी डाल दें।
इन बातों का रखें खास ध्यान
बथुआ साग की फसल में नियमित रूप से पानी दें। इसके लिए सप्ताह में एक से दो बार पानी ज़रूर डालें। पानी डालने के साथ ही साथ साग में उगने वाली अन्य घास या खर-पतवार या फिर कीड़े मोकोड़े को भगाने के लिए नियमित रूप से खाद का छिड़काव करते रहें। इसके लिए आप बाज़ार से दवा लाकर छिड़काव कर सकते हैं। बथुआ को पोषण देने के लिए उर्वरक का उपयोग करें। इसके साथ ही बथुआ को उगाने के लिए ठंड के मौसम का ही चुनाव करें तथा तेज धूप से बचा कर रखें।
अब ऐसे करें फसल की कटाई
लगभग एक महीने के अंदर बथुआ का साग खाने के लिए तैयार हो जाता है। इसके लिए आप साग के पत्तियों को सप्ताह में एक बार काटते रहिए क्योंकी दोबारा उसी जड़ में बथुआ साग की पत्तियां होती रहती है। जब बथुआ साग पूरी तरह से बढ़ जाए, तो आप उन्हें काट सकते हैं। साग को ध्यानपूर्वक काटें। अब आप बथुआ साग को अन्य सब्जियों के साथ मिलाकर स्वादिष्ट बना कर खा सकते हैं। हमारे शरीर को बथुआ साग भरपूर पौष्टिकता प्रदान करती है। यदि आपको बथुआ साग का स्वाद पसंद नहीं है, तो आप उसे अन्य सब्जियों के साथ मिलकर भी खा सकते हैं। आप अपने स्वाद के अनुसार इसका उपयोग कर सकते हैं।